बुधवार, 27 नवंबर 2019

प्रेम अर पेग

पौड़ी रात मा -स्रोत: पौड़ी साइट

रात पौड़ गे छे। सबि  माबत अपणा अपणा घौर मा पहुँच गे छा। पौड़ी का घर इन टिमटिमाणा छा जन ब्वलें आसमाना तारा यह धरती मा ऐ गे होला। पर मि नीरज का घौर मा बैठ्यु अपणी ही सोच मा डब्यू छौ। एक तरह कु अंधकार मेरा भीतर जगह लेणु छौ।

'प्रेम क्या च' - मिन पूछी।

'हम्म'..नीरज ना हुँकार भरी अर फिर अपना काम मा लग ग्यायी।

उन त नीरज मेरा दगडी बैंक मा काम करदु छौ पर पेग बनाणा वक्त इसरो के वैज्ञानिक से कम नि लगदु छौ। उन वैज्ञानिकों ना मंगलयान भेजदा वक्त तेला मिश्रण मा इदगा ध्यान नि दे होलु जदगा ध्यान नीरज पेग बनाणा मा देन्दु छाई।


शराब,सोडा,पानी,कल्ड ड्रिंको  अनुपात एक दम फिट बैठदु छौ। पूरी पौड़ी मा मेरी नज़र मा नीरज से बेहतर पेग शायद ही कैथे बनाण आंद छौ। यु ही कारण छौ कि हर शुक्रवार हमारि महफ़िल लगदी छै।

वेन पेग तैयार करि और मेरा तरफ सरकेई।

फिर वेन गिलास लेकि एक घूँट लगाई, अपनी आँख मीचि और कुकड़ा भांति मुंडी हिलाणा बाद एक चटकारा लेकि बोलि, 'क्या छा ब्वलणा?'

तब तक मिन भी घूँट लगेयाली छै।

'प्रेम क्या च?', मिन दोहराई।

'व्हाट इस लव? हम्म। प्रश्न काफी डीप च।' वेन कै ऋषि जन आँख मूंदी अर एक गहरी साँस छोड़िकी बोलि, 'प्रेम पेग पीणु च।'

वेन मेरा चेहरा मा असमंजसs भाव देखनि अर बोलि-' भैजी इन नि सोचा मि थे चढ़ ग्याई। यू नो आई कैन ड्रिंक आ लॉट। मि समझदान्दू छौं। देखा, पेग होन्दु कड़ू। स्वाद त बेकार ही होन्दू ये कु। फिर भी हम पिन्दा, किले? बतावा किले?'

वेन मेरा जवाबो इंतजार करि बिना बोलि - 'किले कि हम थे पता च कड़ू स्वाद का बाद मज़ा आलू। प्रेम भी इन्ही च। हम जै मनिख दगडी प्रेम करदां वे दगडी कभि झगड़ा भि होलु। कड़ू अनुभव होलु पर वेका कारण वेथे छोड़ थोड़े न स्कदां। हमते पता होण चैंद कि कडु अनुवभौ अलावा इन कई सुन्दर अनुभव छन जु हम्थे ऊंका साथ ह्वे छन या अग्ने जैकि होला। प्रेम छोडनौ नौ नि पकडनौ नौ च।'

वेन बोलि अर मेरी तरफ देखि।मिन वेकि तरफ देखि अर बोलि- 'ठीक ही ब्वाल, आपण?'


मिन फोन निकालि अर एक मैसेज भेजी। मेसज भेजना बाद मिन वे ते देखि त वेन बोलि- 'भैजी इन नि होलु। भैर जैकि बौ थे कॉल करा अर बात सुल्टा। इदगा साल बटि तुम दुयाँ साथ छा। प्रेम मा अहम कु स्थान भी नि होन्दू।'

आकांक्षा दगडी  ड़गड़ी मेरी माया लगयाँ तीन बरस ह्वे गे छा।  कुछ दिनों बटी हमरा बीच झगड़ा बढ़ ग्ये छा। कुछ गलती मेरी भी छाई अर कुछ शायद वींकी भी छाई। मिन वीका दगडी अपणु अफेयर खत्म करणा बारा मा विचार करणु छौं। लेकिन नीरज न ठीक ही बोलि छौ, प्रेम छोड़नो नौ नि होंद, पकड़नौ नौ होंद च।

मिन पेग बगल मा रखि और जन उठि की बाहर जानु छौ त नीरज न बोलि- 'फ्रिज बटि अंडरु निकालि भी दे द्या। मि बिसर गे छौ निकलणु।'

मेरा चेहरा पर मुस्कराहट छाई।मिन उबला अंडो प्लेट वे थे द्याई। वेन प्लेट पकड़ी और जाम उठैकि मिथे भैर जाणु कु इशारा करि। मि भैर खुणी मुड़ ग्यों अर आकांक्षो नम्बर डायल करिकि भैर बात करणु कु चल ग्यों।

भैर पौड़ी जगमगाणु  छौ और मि भी।

                                                            समाप्त 


नोट : शराबौ सेवन सेहत खुणी हानिकारक च। यु लघुकथा कु लेखक भी शराब नि पींदु च। हाँ, अंडरु त वु रोज ही खबकांदु च ।

© विकास नैनवाल 'अंजान'

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