बुधवार, 24 जून 2020

कोरोना काले सीख - 1

23 जून के अमर उजाला की एक कतरन


भौत समय पैली एक कथा मिन सुणी छे। वे टैम वाल्मीकि अबी ऋषि नि बणयु छौ। वु रत्नाकर छौ अर मनखियों ते बौणों(जंगल) मा लुटदो छौ। एक दाँये बात च कि वे बौण बटी नारद जाणा छा।  रत्नाकर वूं थे लुटणा वास्ते नारदा समणी आई अर ऊँ बटी वेना धन सम्म्पति माँगि। अब ब्वलदन कि वे टेम नाराद ना भगवानो नौ ल्याई जैका कारण रत्नाकरे मने क्रूरता समाप्त हवे ग्यायी। जब वूं  न रत्नाकर थे लुटणों कारण पूछी त वे न बताई कि वु अपणा परिवारे वास्ता यू कर्म करणु छौ। या बात सुनिकि कि नारदन रत्नाकर थे एक प्रश्न पूछी जेका बाद वेकि जीवने दिशा बदल ग्यायी। आप लोगो थे मालूम होलु कि यु प्रश्न क्या छौ? नारदs न केवल यु पूछी छौ कि जे परिवारे वास्ता रत्नाकर पाप कर्णु छौ क्या वु परिवार वे पापाs दंड कु भागीदार बणलू?  जब परिवार वालो थे यु प्रश्न रत्नाकर न करि त सबन जन कि अपेक्षित छौ पापाs दंड कु भागिदार बन्न से मना करि अर इन्न रत्नाकरे आँखि खुली अर वु भक्ति मा लीन हवे ग्यायी। 

आज या घटना अचानक मिथे याद ए ग्यायी। बयालिs अखबार मा एक खबर देखि जैका कारण यु कथा अचानक मन मा आई। खबरs मुताबिक कोरोना पीड़ित मरिजों कि मृत्यु का बाद ऊँका परिजन ऊँथे मुखाग्नि भी नि देणा छन। श्रीनगर मा एक वृद्ध व्यक्तिs मृत्यु बाद वेका परिजन वेका नजदीक जाणा मा भी घबराणा छाँ। मि जब ये थे पढ़णु छौ त या बात ही सोच्णु छौ कि वे बुजुर्गन कद्गा खैरी खैकि अपण परिवार थे पालि होलु। यह खबर इकलौती भी नि च। इन खबर आणि ही लगीं च। कुई लोगों थे छोड़ देणु च त कुई लाश थे लेणु ही नि आणु च। एक खबर कुछ दिनों पैली इन भी पढ़ी छै कि जख एक तरफ परिजन चिता थे अग्नि नि देण चहन्दन वखि शरीर मा मौजूद गहना या मरीजा पास मौजूद महंगू फोन लेणा मा ऊँथे कुई परेशानि नि च। यु चीजों खुणी वु अस्पताला अफसरों थे बार बार फोन कन्ना छन्न।

यु सब खबर हमथे सोचण पर मजबूर करदी कि हम लोग जू यु भागदौड़ करदा छन वु किले करदा? मि इन नि कहणु छौ कि परिवारे जिम्मेदारी हमथे  नि निभाण चैन्द बस मेरु कहणु इन च कि परिवारे लालच मा ऊँ कामो से बचण चैंद जैका कारण हम लोग दुसरा मनखियोंs जिकुड़ी दुखान्दा । दौलता बाना जु इदका हाई हाई हम मचंदा वेकि क्या असल मा क्या जरूरत च?

हमथे येका बारा मा विचार कन्न चैंद।

© विकास नैनवाल 'अंजान'

2 टिप्‍पणियां:

Most Popular