बुधवार, 4 दिसंबर 2019

क्रांतिकारी

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रात पोड गे छे। आसामान काजल जन कालू पोडयूं छौ। ये सर्ग बटी चाँद अर तारा इन गायब छा जन ब्वलें मनखियों की गिरदी नैतिकतान उथें शर्मसार कर दे हो। हर जगै सन्नाटू छौ। सभी मन्खि पोड गे छा। पर वु अबी तलक जगणु छौ।

वेकु गौलू सुखणु छौ। पाणिन गौला थे भीजाणु मन होणु छौ। पर वेकु इरादा समणी यु तीसे कुई कीमत नि छै। वे न अपणी तीस थे नज़रअंदाज करि।

वेना एक गैरी साँस ल्याई अर वेका बाद अपणा हथियार थे देखि।

वेकु हथियार चमचमाणु छौ। वार कन्नो को यू एक अचूक साधन छौ। वे थे पूरी उम्मीद छै कि वेकु वार खालि नि जाण।

वेना यख वख देखि अर फिर एक गैरी साँस लेकि अपणा हथियार थे अपणा हाथों मा उठे द्याई।

थोड़ा देर तक वू अपणा हथियार दगड़ी व्यस्त रयाई।

साँस रोकिs व अपणु काम करणु छौ। आज क्रान्ति कन्न ही छै। कुई वे थे नि रोक सकदु छौ।

पाँचि मिंट मा वेकु काम ह्वे गे छौ। अब वु परिणामो इन्तजार अपणी जुकडी थामी कन्नू लग्ग्याइ। अब के भी वक्त वे कि जलाई क्रांतिs लौ बढ़िs ज्वाला मा तब्दील ह्वे सकदी छै।

अर फिर वेन जु सोचि छौ वु ह्वे ग्याई।

वे का गिचा पर विजय मुस्कान थिरकनि छैई।

वु अब उठि अर वेन पैलि अपणी तीस बुझे। 

वु वापस एई अर अपणा बिस्तर पर धम्म सी पोड गे। 

वे का बगल माँ वेकु स्मार्ट फोन रह रह कि कंपणू छौ। नोटिफिकेश्नों बरसात होण लग गे छे। वे कि पोस्ट वायरल ह्वे गे छे। 

वेन क्रान्ति लेयालि छे। 

वु अब आराम से पोड सकदु छौ। वेकु मकसद जु पुरु ह्वे गे छौ।

                                                                   समाप्त 

© विकास नैनवाल 'अंजान'

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