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Image by PIRO4D from Pixabay |
कोरोना जब बटि जीवन मा आई अपणा दगड़ि बिंडी बदलाव भी लेकि आई। कुछ बदलाव त अच्छा छाई पर कुछ इन बि छा जोंथे बुरै कि श्रेणी मा रख सकदन।
अच्छा बदलाव कुछ इन छन:
1. लोगु थे घौर मा रुकण पड़ी जैका कारण ऊँथे परिवारा साथ वक्त बिताणों मौकु मिलि। जौ लोगु पास कामs कारण परिवार वालों खुणि वक्त नि छौ ऊँ का पास कोरोंनाs कारण वक्त ही वक्त ह्वाई।
2.किले की लोग घौर मा छन अर भैरौ खाणु नि ले सकदन त लोगुन घौर मा प्रयोग कन्न शुरू करि। ये प्रयोगो परिणाम यु ह्वाई कि सबथे पता चलि कि जों चीजों खुणि हम भैर हल्वई पर निर्भर छा वु चीजों थे हम बेहद आसान तरिकन घौर मा बणे सकदाँ। उन बि पैली यु चीज घौर मा ही बणदि छै। है कि नि?
3.किले की गाड़ी नि चलणी छन त सड़क दुर्घटना आकंडा मा भी कमि आई।
4. पर्यावरण सुधिरी जैका कारण जीवन भी सुधरि अर धरतीs बिगड़ती सेहत भी ठीक ह्वाई
5. काफी कम्पनियों ते यु पता चलि कि लोग घौर बैठिक भी काम कर सकदन। ये से कम्पनी कु खर्चा भी कम ह्वाई और लोगु टैम, जु वु दफ्तर जाणा मा लगान्दा छाई भी बचि
6. कोरोना कारण लोग घौर बटि काम कन्ना छन। ये से एक फायदा हम जन लोगु थे ह्वाई। मि अपणा घौर बटि 2005 मा निकलि छौ अर वेका बाद यह पैली बार च कि मि इदगा दिनों तक अपणु घौर मा रह्यों। मेरा जन कई लोग होला जु इन रहणा छन।
अगर बुरु बदलावs बारा मा बात करां त यु कुछ इन छा:
1. कई कामगारों काम छूटी जैका वास्ता एक भयावह पलायन ह्वाई। ये पलायन मा कदगा जान गैनि। ये पलायन न ह्मथे शहरो असल चेहरा भी दिखले
2. कई छोटा मोटा व्यापारी जौंकू खर्चा रोजा कामणन चल्दु छौ ऊँ कु नुकसान ह्वाई। काम रुकि अर ऊंथे आर्थिक दिक्कतो सामना कन्न प्वाड़ी
3. पति पत्नी जों थे घौर मा एक साथ इदगा वक्त बिताणों अनुभव नि छौ वुका बीच लड़े भि बड़ी। इन कई हास्यादपद किस्सा भैर एनी।
4. जु लोग एकुली रैन्दन ऊँथे भि अवसादो सामना कन्न प्वाड़ी। कईयोंन आत्म हत्या कारी। हमथे सोचणे जरूर च कि हमथे क्या सुधार कन्ने जरूरत च
5. पर्यटन क्षेत्र से जुड्या लोगु कु भी भट्टा बैठि। सीजन चल ग्यायि अर पर्यटक नि एनी।
6. जों लोगु थे घुमणों शौक च वु भी घौर मा रुकणु कु मजबूर छन अर न जाने कब तक मजबूर होला
7. शादि ब्याहs कार्यक्रम अग्ने बढ़ गैन या त जु ह्वाई भी वु बस निप्टाणा वास्ता ही ह्वाई। यु ही हाल अन्य उस्तवो कु भी ह्वाई।
त यु कुछ बदलाव छन जो कि कोरोना कारण हमारा जीवन मा एनी। कुछ अच्छा और कुछ बुरा पर यूँ बटि हमथे सीख लेण चैंद। हमथे देखण पड़लु कि हम क्या गैरजरूरी काम कन्ना छा जों का बिना आज हम ठीक ठाक जीणा ही छाँ। जों कि ये लॉकडाउन मा हमथे जरूरत नि प्वाड़ी। हमथे यु भी विचार कन्न प्वड़लु कि हमथे अपणा शहरों अर जीवन मा इन क्या बदलाव कन्न चैंद कि अग्ने अगर यु परिस्थित दोबारा आई त हमारा जीवन मा बुरा बदलाव कम ही अयां।
आपो क्या ख्याल च?
© विकास नैनवाल 'अंजान'
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